भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पूरे भारत में श्रद्धा और उत्साह से जलझूलनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इसे परिवर्तिनी एकादशी और डोल ग्यारस भी कहा जाता है।
यह दिन केवल व्रत और पूजा का नहीं, बल्कि भक्ति, अनुशासन और नए आरंभ का प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में करवट बदलते हैं और श्रीकृष्ण को झूले में झुलाने की विशेष परंपरा निभाई जाती है।
🌼 व्रत कथा (Vrat Katha)
पुराणों के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर करवट बदलते हैं। गोकुल में इस दिन माता यशोदा ने नन्हें कृष्ण को जलक्रीड़ा के लिए झूले में बैठाया। तभी से इस दिन भगवान को झूले में झुलाने की परंपरा चली आ रही है।
🎉 परंपराएँ (Traditions)
राजस्थान और मध्यप्रदेश में इसे डोल ग्यारस कहते हैं।
मंदिरों में झूले सजाए जाते हैं और शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं।
चित्तौड़गढ़ का सांवलिया सेठ मंदिर विशेष आकर्षण का केंद्र होता है।
भक्त झीलों और जलकुंडों में भगवान श्रीकृष्ण को झुलाते हैं।
🙏 महत्व (Significance)
पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति।
परिवार में शांति और समृद्धि।
स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक उन्नति।
दान-पुण्य का अक्षय फल।
👉 असल में यह दिन हमें सिखाता है — जीवन में उतार-चढ़ाव (करवटें) आते हैं, लेकिन विश्वास और भक्ति से हर कठिनाई पार की जा सकती है।
❓ FAQs
Q1. जलझूलनी एकादशी को और किस नाम से जाना जाता है?
A: इसे परिवर्तिनी एकादशी और डोल ग्यारस भी कहा जाता है।
Q2. जलझूलनी एकादशी का मुख्य संदेश क्या है?
A: जीवन में परिवर्तन और भक्ति का महत्व। भगवान विष्णु की करवट परिवर्तन का प्रतीक है।
Q3. जलझूलनी एकादशी का दान-पुण्य क्यों विशेष है?
A: इस दिन किए गए दान-पुण्य से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है और शुभ फल प्राप्त होते हैं।
Q4. क्या जलझूलनी एकादशी का व्रत हर कोई कर सकता है?
A: हाँ, यह व्रत गृहस्थ, व्यापारी, विद्यार्थी और साधक सभी कर सकते हैं।
🌟 निष्कर्ष
जलझूलनी एकादशी हमें केवल पूजा-पाठ की परंपरा नहीं सिखाती, बल्कि जीवन जीने का संदेश देती है।
भगवान विष्णु की करवट हमें याद दिलाती है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है।
भगवान श्रीकृष्ण का झूला हमें सिखाता है कि भक्ति में आनंद और सरलता दोनों हैं।
🙏 इस एकादशी पर भगवान की उपासना कर हम सबके जीवन में शांति, समृद्धि और भक्ति बनी रहे।
क्या आप इस वर्ष जलझूलनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं? कमेंट में बताइए कि आपके शहर/गाँव में इसे कैसे मनाया जाता है।
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